भारतीय फलित ज्योतिषशास्त्र
के समान ही अंक ज्योतिष भी अपने चमत्कारिक प्रभाव के कारण जनसामान्य में काफी
लोकप्रिय है। अंक ज्योतिष के इन्हीं प्रभावों का आश्रय लेकर अनेक लोग सुख-समृद्धि
तथा सफलता की ऊँचाईयों को पा चुके हैं। अंक ज्योतिष के सिद्धांतों के आधार पर जातक
अपने नाम,प्रतिष्ठान के नाम तथा विविध क्रियाकलापों का नामकरण कर सामान्य से बहुत
अधिक सफलता प्राप्त करते हैं। कम समय में विपुल धनागम हेतु मानव कई अलग मार्गों को
अपनाता है । कई बार उसे असफलता हाथ लगती है तो कभी कभी वह सफल भी हो जाता है।
शेयर मार्केट से धनप्राप्ति
ज्योतिषशास्त्रीय दृष्टि
त्वरित धनप्राप्ति, कर संरक्षण तथा सुरक्षा मानकों के आधार पर शेयर मार्केटिंग आज
जन सामान्य को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।इसी आकर्षण के मोह में जातक किसी
विशेष तैयारी तथा ग्रहों की अनुकूलता तथा प्रतिकूलता पर विचार किये बिना शेयर
मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाता है और बहुधा असफलता को प्राप्त करता
है और अपना सब कुछ गँवाने के बाद निराश और हताश होकर अपने भाग्य को कोसता रहता है।और
कई बार तो निराशा और हताशा में आकर अपना सब कुछ खोने के के बाद आत्मघात भी कर लेता
है । इन समस्याओं और अनिष्टों से बचने के लिए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की तरह
शेयर मार्केटिंग में भी अंक ज्योतिष का प्रयोग करने से जबरदस्त सफलता पाई जा सकती
है।
अंकशास्त्र में मूलांक,भाग्यांक और नामांक
का विशेष महत्व होता है । व्यक्ति अपने मूलांक, भाग्यांक तथा नामांक के आधार पर शेयर मार्केट से अनुकूल
कंपनियों का चयन कर, अभूतपूर्व सफलता
पा सकता है। शेयर मार्केटिग के क्षेत्र में अंक ज्योतिष के प्रयोग-विधि को जानने
से पूर्व हमें मूलांक,भाग्यांक और नामांक स्पष्ट करना आना चाहिए और निम्नलिखित
तथ्यों को भली-भांति समझ लेना अत्यन्त अनिवार्य
है।
कैसे निकालें
मूलांक भाग्यांक और नामांक ??
मूलांक
मूलांक स्पष्ट करना अत्यन्त सरल है । व्यक्ति
जिस दिन जन्म लेता है उसी दिन की तारीख से मूलांक ज्ञात करते हैं। जातक की
जन्मतिथि अगर 1 से 9 तारीख के बीच की है तो उसका मूलांक उसकी जन्मतिथि ही होतो है
। उदहारण के लिए यदि किसी व्यक्ति की जन्मतिथि 06-01-1960 हो तो उस जातक का मूलांक
6 होगा । यदि जन्मतिथि दो अंकों की जैसे 23, 27, 19 आदि हो तो मूलांक निकलने की विधि किन्चित भिन्न है । इस
परिस्थिति में मूलांक निकालने के लिए जन्मतिथि में आने वाले दोनों संख्यों को
जोड़ने से मूलांक प्राप्त होता है। जैसे यदि जातक की जन्मतिथि 22-11-1980 हो तो
जन्मतिथि 22 में आनेवाली दोनों संख्याओं 2 और 2 को जोड़ा जाना चाहिए । अर्थात् 2 + 2 = 4 अर्थात्
वर्ष के किसी भी महीने की 22 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्ति का मूलांक 4 होगा । परन्तु
एक अन्य स्थिति में मूलांक निकालने की इस विधि में कुछ अतिरिक्त संक्रियाएं भी
करनी होती हैं । उदाहरणस्वरूप यदि किसी जातक का जन्म 28-03-1987 को हुआ हो तो उपरोक्त
विधि से इस जातक का मूलांक स्पष्ट करने पर हमें 2 + 8 = 10 प्राप्त होता है तो
हमें प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है की इस जातक का मूलांक 10 है । परन्तु ऐसा
नहीं है उचित मूलांक प्राप्ति हेतु हमें पुनः 10 में उपलब्ध दोनों अंकों अर्थात् 1
और 0 को जोड़ना होगा इस प्रकार 1 + 0 = 1 इस जातक का सही मूलांक होगा । ठीक इसी तरह
19 तारीख को जन्म लेने वाले
व्यक्ति का मूलांक 1 + 9 = 10 = 1 + 0 = 1 होगा। यह विधि किसी भी महीने के केवल 19, 28 और 29
तारीखों को जन्म लिए जातकों के लिए ही उपयोगी है।
भाग्यांक
अंकशास्त्र के अनुसार किसी भी जातक के
भाग्यांक को स्पष्ट करने के लिए जिस विधि का विधान किया गया है उसके अनुसार व्यक्ति
की जन्मतिथि के दिन, मास और वर्ष की
सभी संख्याओं को आपस में जोड़ने से भाग्यांक प्राप्त होता है। उदहारणस्वरुप यदि
किसी व्यक्ति की जन्मतिथि 17-10-1983 हो तो, इस व्यक्ति का भाग्यांक 1+7+1+0+1+9+8+3=30 , 3+0=3 होगा।
नामांक
नामांक की गणना करना किंचित कठिन है परन्तु
थोड़े ही प्रयास से इसे सहज ही सीखा जा सकता है । नामांक स्पष्ट करने की मुख्यतया
तीन विधियाँ प्रचलित हैं जिनके आधार पर जातक का नामांक स्पष्ट किया जा सकता है और
ये विधियाँ हैं-
अ)कीरो पद्धति
ब) पाईथोगोरस पद्धति
स) सेफेरियल पद्धति
अब इन तीनों पद्धतियों के सिद्धान्तों पर क्रमशः दृष्टिपात करते हैं।
अ ) कीरो पद्धति के अनुसार अंग्रेजी
वर्णमाला के वर्णों के लिए अलग अलग अंक निश्चित किये गए है –
A(1),B(2),C(3),D(4),E(5),F(8),G(3),H(5),I(1),J(1),K(2),L(3),M(4),N(5),O(7),P(8),Q(1),R(2),S(3),T(4),U(6),V(6),W(6),X(5),Y(1),Z(7)
ब) पाईथोगोरस पद्धति के
अनुसार अंग्रेजी वर्णमाला के वर्णों के लिए निश्चित अंक कीरो पद्धति से भिन्न हैं
और इस मत के अनुसार अंग्रेजी वर्णमाला के वर्णों के लिए निर्धारित अंकों का क्रम
इस तरह है-
A(1),B(2),C(3),D(4),E(5),F(6),G(7),H(8),I(9),J(6),K(2),L(1),M(3),N(4),O(5),P(6),Q(7),R(8),S(9),T(1),U(2),V(7),W(5),X(3),Y(4),Z(5)
स) सेफेरियल पद्धति
उपरोक्त दोनों ही पद्धतियों से नितान्त भिन्न है और यह मत अंग्रेजी वर्णमाला के
वर्णों के लिए अंक निर्धारण की जिस पद्धति का विधान करता है उसके अनुसार वर्ण और
अंकों का सम्बन्ध इस प्रकार है –
A(1),B(2),C(2),D(4),E(5),F(8),G(3),H(8),I(1),J(1),K(2),L(3),M(4),N(5),O(7),P(8),Q(1),R(2),S(3),T(4),U(6),V(6),W(6),X(6),Y(1),Z(7)
उपरोक्त तीनों ही
पद्धतियों के द्वारा नामांक स्पष्ट किया जा सकता है ,परन्तु ध्यान रहे कि यदि दो
नामों का नामांक निकालना अभीष्ट हो तो दो नो के लिए किसी एक ही विधि का आश्रय लेना
उचित रहेगा । दोनों नामों के लिए अलग अलग विधियों का आश्रय लेने से फलादेश गलत हो
जायेगा इसकी पूरी सभावना है ।
उपरोक्त तालिका में से
कीरो पद्धति के आधार पर अजय कुमार (AJAY KUMAR) नाम के इस व्यक्ति का नामांक इस प्रकार निकाला जाएगा -
AJAY KUMAR , A(1) + J(1) + A(1) + Y(1) + K(2) + U(6) + M(4) + A(1) + R(2) = 19 , पुनः 1+9 = 10 , 1+0 = 1
अतः इस जातक का
नामांक 1 होगा।
अंकशास्त्र का कैसे करें प्रयोग शेयर
मार्केटिग में
अब जबकि हम नामांक निकलने की विधि जान चुके
हैं तो हमरी जिज्ञासा सहज ही उत्पन्न होती है की इस शास्त्र का प्रयोग शेयर
मार्केटिंग में किस प्रकार कर सकते हैं ? जातक तथा सम्बंधित शेयर की कम्पनी का
नामांक दो ऐसे महत्वपूर्ण अवयव हैं जिनके आधार पर इस शास्त्र का प्रयोग शेयर
मार्केटिंग में कर सकते हैं । इसके लिए व्यक्ति के नामांक निकालने की विधि से ही कंपनी
के नाम का नामांक निकाल लेते हैं । माना SAIL नामक कंपनी का नामांक निकालना है तो
-
SAIL , S(3) + A (1) + I (1)
+ L (3) = 8
इस तरह SAIL नामक कम्पनी
का नामांक 8 सिद्ध होता है ।
अब यह देखें कि कंपनी के नामांक का, व्यक्ति के मूलांक, भाग्यांक तथा नामांक से किस प्रकार का संबंध है ? इसे जानने के लिए
अंकों की मित्रता तथा शत्रुता संबंधी निम्नलिखित तालिका से सहायता लें -
अंकों की शत्रुता तथा
मित्रता संबंधी तालिका
अंक
|
स्वामी ग्रह
|
मित्रांक
|
समांक
|
शत्रु अंक
|
1
|
सूर्य
|
4,8
|
2,3,7,9
|
5,6
|
2
|
चन्द्रमा
|
7,9
|
1,3,4,6
|
5,8
|
3
|
बृहस्पति
|
6,9
|
1,2,5,7
|
4,8
|
4
|
राहु
|
1,8
|
2,6,7,9
|
3,5
|
5
|
बुध
|
3,9
|
1,6,7,8
|
1,9
|
6
|
शुक्र
|
3,9
|
2,4,5,7
|
1,8
|
7
|
केतु
|
2,6
|
3,4,5,8
|
1,9
|
8
|
शनि
|
1,4
|
2,5,7,9
|
3,6
|
9
|
मंगल
|
3,6
|
2,4,5,8
|
1,7
|
यदि कंपनी नामांक का व्यक्ति के मूलांक, भाग्यांक तथा नामांक के साथ मित्रता है तो यह
लाभप्रद परिस्थितियों का निर्माण करती है। जबकि इन अंकों के मध्य अधिक शत्रुपूर्ण
संबंध आर्थिक हानि को दर्शाते हैं। इसी प्रकार यदि इन अंकों के मध्य एक संबंध तो
मित्रतापूर्ण हों जबकि अन्य सम्बन्ध शत्रुतापूर्ण हों तो जातक को इस कंपनी के
शेयरों से न तो अधिक लाभ होगा और न ही अधिक हानि होगी। अतः किसी भी कंपनी में
निवेश करने से पूर्व यह अवश्य देख लें कि कंपनी के नामांक आपके मूलांक,भाग्यांक या
नामांक के अनुकूल हैं या नहीं। अधिक अनुकूल संबंधों के उपरांत ही सम्बंधित कम्पनी
के शेयर में निवेश से लाभ प्राप्ति संभव है अन्यथा हानि की अधिक सम्भावना होगी। इसके
अतिरिक्त अंक शास्त्र में विभिन्न उद्योगों व उनसे सम्बन्धित अन्य क्षेत्रों पर अलग-अलग अंकों का आधिपत्य स्वीकार किया गया
है। निम्नलिखित तालिक द्वारा इसे स्पष्टतया समझ सकते हैं -
विभिन्न क्षेत्र पर अंकों
तथा ग्रहों का आधिपत्य
अंक
|
1
|
2
|
3
|
4
|
5
|
6
|
7
|
8
|
9
|
ग्रह
|
सूर्य
|
चन्द्रमा
|
बृहस्पति
|
राहू
|
बुध
|
शुक्र
|
केतु
|
शनि
|
मंगल
|
क्षेत्र
|
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
|
औषधी
|
बैंकिग
|
सूचना प्रौद्योगिकी
|
दूरसंचार
|
वाहन
|
तेल
|
भारी उद्योग
|
विद्युत्, भवन निर्माण
|
जातक को अपने मूलांक तथा भाग्यांक से मैत्री
रखने वाले औद्योगिक क्षेत्रें में ही निवेश करना चाहिए। जबकि जिन अंकों से शत्रुता
हो, उन सेक्टर में निवेश से
बचना चाहिए।
इसी प्रकार यदि किसी कंपनी का IPO आ रहा हो तो
उस IPO में निवेश करने से पूर्व अंक मैत्री चक्र के द्वारा कंपनी के नामांक के साथ
अपनी अनुकूलता को अवश्य जांच लें। IPO निकलने की तारीख का भाग्यांक भी निकालें (जातक
के भाग्यांक की तरह)। कंपनी के इस भाग्यांक से भी अनुकूलता तथा प्रतिकूलता का
ज्ञान कर लें।
यदि उपरोक्त विधियों का आश्रय लेकर व्यक्ति
शेयर में निवेश करता है तो शेयर मार्केटिग के क्षेत्र में सफलता की ऊँचाईयों को
सहजतापूर्वक छुआ जा सकता है।
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