Thursday 13 September 2018

वैवाहिक समस्याएँ और समाधान(ज्योतिषशास्त्र)

वैवाहिक समस्याओं के लिए मुख्य रूप से विभिन्न ग्रह ही उत्तरदायी हैं। अतः इन ग्रहों के शान्ति हेतु विविध मंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है-
 
* सूर्य
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः'
पौराणिक मन्त्र-'जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।'
जप संख्या- 7000
रत्न- माणिक्य
* चंद्र
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'दधिशघ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्।।'
जप संख्या- 11000
रत्न- मोती
* मंगल
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 10,000
रत्न- मूंगा
* बुध
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 9,000
रत्न- पन्ना
* गुरू
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'देवानां च ट्टषीणां च गुरूं कांचनसन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।'
जप संख्या- 19,000
रत्न- पुखराज
* शुक्र
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 16,000
रत्न- हीरा
* शनि
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।'
जप संख्या- 23,000
रत्न- नीलम
* राहु
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'ऊँ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 18,000
रत्न- गोमेद
* केतु
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः केतवे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'ऊँ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या-17,000
रत्न- लहसुनिया
वैवाहिक कष्टकारक शनि के उपाय लालकिताब
- सफेदे का पत्ता अपनी जेब में रखें।
- ताँबे, स्टील या लोहे के पात्र में रखा जल पीएँ।
- आटे की गोलियाँ मछलियों को खिलाएँ।
- काले उड़द (400 ग्राम) जल में प्रवाह दें।
- भोजन का पहला ग्रास गाय को दें।
- शनिवार सायंकाल में उड़द दाल की खिचड़ी अवश्य खाएँ।
वैवाहिक विलम्ब व प्रतिबन्ध के उपाय
* अग्नि महापुराण के 18वें अध्याय में वर्णित गौरी प्रतिष्ठा विधि का प्रयोग करें।
* ‘‘ऊँ क्लीं विश्वासुर्नाम गन्धर्वः कन्यानामधिपतिः लभामि देवदत्तां कन्यां सुरूपां सालंकारां तस्मै विश्वावसवे स्वाहा’’
इस गन्धर्वराज मन्त्र का दस हजार जप करें।
* पुरूषों के शीघ्र विवाह के लिए अधोलिखित मन्त्र का 108 बार जप करे-
‘‘पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्यानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।
* कनकधारा स्तोत्र का 21 पाठ 90 दिन तक करें।
* श्रीरामदरबार चित्र का पञ्चोपचार पूजन के बाद निम्नलिखित दोहे का 21 बार जप करें-
‘‘तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै।
मांडवी श्रुतिकीरति उरमिला कुँअरि लई हँकारि कै।।’’
* इस सन्दर्भ में शुक्रवार को किया जानेवाला माँ गौरी का व्रत भी प्रशस्त माना गया है। निराहार व्रत के बाद सायंकाल पंचमुखी दीपक जलाएँ। पुनः अधोलिखित मन्त्र का 108 बार जप करें-
‘‘बालार्कायुतसत्प्रभां करतले लोलाम्बमालाकुलां मालां सन्दधतीं मनोहरतनुं मन्दस्मिताधोमुखीम्।
मन्दं मन्दमुपेयुषीं वरयितुं शम्भुं जगन्मोहिनीं, वन्दे देवमुनीन्द्रवन्दितपदाम् इष्टार्थदां पार्वतीम्।।’’
* वैवाहिक विलम्ब अथवा प्रतिबन्ध योगों में शनि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः ऐसी परिस्थिति में निम्नलिखित मंत्र का प्रयोग शीघ्र ही फल देता है-
‘‘कोणस्थः पिंगलों बभ्रुः कृष्णो रौन्द्रोऽन्तको यमः। सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलाश्रय संस्थितः।।
एतानि शनि-नामानि जपेदश्वत्थसन्निधौ।
शनैश्चरकृता पीड़ा न कदापि भविष्यति।।’’
शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ, और उपरोक्त मन्त्र का 36 बार जप करें।
* योग्य पुरोहित के सन्निध्य में अत्यन्त प्रभावशाली ‘शनि-पाताल क्रिया’ का अनुष्ठान कराएँ।
यदि जन्माङ्ग में मंगल दोष विद्यमान हो और इस कारण से विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अधोलिखित उपाय शीघ्र ही फल प्रदान करते हैं-
मंगल चण्डिका स्तोत्र का 21 पाठ नित्य करें-
‘रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
हारिके विपदां राशेः हर्षमंगलकरिके।।
हर्षमंगलदक्षे च हर्षमंगलदायिके।
शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचण्डिके।।
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगलमंगले।
सदा मंगलदे देवि सर्वेषां मंगलालये।।’’
- मंगलस्तोत्र का नित्य 21 बार जप करें।
- सौभाग्याष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ करें।
- मंगल यन्त्र की विधिपूर्वक स्थापना करें।
- योग्य पुरोहित के द्वारा कन्या का कुंभ अथवा विष्णु विवाह अत्यन्त गोपनीय तरीके से करवाएँ। गोपनीयता ही इस प्रयोग के सफलता की कुञ्जी होती है।
- सौन्दर्य लहरी (श्लोक 1-27) का पाठ करें।
- सावित्री व्रत का सश्रद्धा अनुष्ठान करें।
- सोंठ, सौंफ, मौलसिरी के फूल, सिंगरक, मालकंगनी और लाल चन्दन समभाग लें। इसे जल में मिलाकर मंगलवार को स्नान करें।
- बेल, जटामांसी, लाख के फूल, हिंगलू, बल, चन्दन और मूवला औषधियों को पानी में मिलाकर मंगलवार को स्नान करें।
लाल किताब के उपाय-
* मंगलवार को रेवडि़याँ या बताशे बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
* तुलसी के पत्ते व काली मिर्च का सेवन करें।
* मंगलवार को गुड़ व मसूर की दाल अवश्य खाएँ।
* गाय को गुड़ या चीनी मिली रोटियाँ खिलाएँ।
* तन्दूर की मीठी रोटियों का दान करें।
* बन्दरों को जलेबी, शकरपारे आदि खिलाएँ।
वैवाहिक विघटन से बचाव : लाल किताब उपाय
* यदि कन्या के जन्माङ्ग में वैवाहिक विघटन, वैधव्य, पार्थक्य आदि के योग बन रहे हों तो अधोलिखित उपचार करें। विवाहोत्सव में कन्यादान के समय यह प्रयोग करना श्रेयस्कर होता है। जन्माङ्ग में जो ग्रह वैवाहिक कष्ट के लिए उत्तरदायी हो उस ग्रह से संबन्धित रत्न अथवा धातु के बराबर वजन वाले दो टुकड़े लें। कन्यादान का संकल्प लेते समय ये दोनों टुकड़े कन्या के दाहिने हाथ में रखें। कन्यादान तथा विवाह समाप्ति के बाद इनमें से एक टुकड़ा बहते हुए जल में प्रवाहित करें, जबकि दूसरा टुकड़ा अथवा वस्तु कन्या अपने पास आजीवन संभालकर रखे। यह वस्तु जब तक कन्या के पास रहेगी वह तथा उसका वैवाहिक जीवन सुरक्षित रहेगा।
* बुध खाना नं. 12 में हो कर कष्ट उत्पन्न कर रहा हो तो विवाह के समय स्टील के बने बिना जोड़वाले दो छल्ले लें। एक जातक को पहनाएँ तथा दूसरा जल प्रवाह दें।
* शुक्र खाना नं. 4 में रहकर कष्टकारक हो तो स्त्री से चार महीने के अन्दर दुबारा विवाह करें।
* कन्यादान के समय कन्या को चाँदी की ईंट दें।
* बृहस्पति कृत अशुभ से बचाने के लिए कन्या को शुद्ध सोने का सिक्का दें।
* वैवाहिक विघटन से बचने के लिए विवाह के समय ताँबे के बरतन में साबुत हरी मूंग भरें। ढक्कन बंद करें और संकल्पपूर्वक कन्या का भाई अथवा पिता इसे जल प्रवाह दे।
व्रत
* सोलह सोमवार के व्रत निष्ठापूर्वक करें।
* संतोषी माता का व्रत भी इस दृष्टि से आश्चर्यजनक फल देने वाला है।
* वट सावित्री का व्रत करें।
* मंगलागौरी व्रत व पूजन का अनुष्ठान करें।
विशेष उपाय शीघ्र विवाह हेतु (अनुभूत)
काफी उपाय करने के बाद भी यदि कन्या का विवाह न हो रहा हो तो इस प्रयोग को अवश्य करें। किसी भी मंगलवार के दिन कन्या निराहार व्रत करे। पीपल के 108 पत्ते प्रातःकाल तोड़ लाएँ। किसी सिद्ध हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी के विग्रह के समक्ष बैठ जाएँ। वहीं केसर की स्याही बनाएँ तथा लाल चन्दन की कलम से पीपल के पत्तों पर ‘राम’ लिखें। कन्या मौली ले और इन पत्तों की माला बना लें। फिर हनुमान जी के सामने हाथ जोड़कर कहें- ‘‘मेरा विवाह आप शीघ्र करा दें, अन्यथा आज से 108 वें दिन आकर यही वरमाला आपको पहना दूंगी।’’ इसके बाद कन्या वापस मंदिर से चली जाए और वापस मुड़कर न देखे। इस प्रयोग के बाद कन्या का विवाह अतिशीघ्र हो जाता है।
* शिवरात्रि के दिन जिस मंदिर में शिव पार्वती विवाह का अनुष्ठान हुआ हो। कन्या वहां जाय और विवाह की पूरी विधि को देखे। इस विवाहोत्सव में ‘लाजा’ (खील) भी बिखेरे जाते हैं। कन्या प्रातःकाल मंदिर जाए और वहां से इन खील के 11 दाने चुन कर खा ले। शीघ्र विवाह का योग बनेगा।
* रामचरितमानस के शिव पार्वती विवाह प्रसङ्ग का 11 सोमवार तक सश्रद्धा पाठ करें।
" श्रीरामजानकी के विवाह प्रसङ्ग का पाठ भी आश्चर्यजनक सफलता देता है।
* यदि कालसर्पयोग के कारण विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो वैदिक विधि से इस दोष की शान्ति घर में करवाएँ। शुद्ध स्वर्ण के आठ नाग (सवाग्राम प्रति) बनवाकर जल में प्रवाह दें।
वैवाहिक कलहपूर्ण जीवन से मुक्ति
* इन परिस्थितियों को उत्पन्न करने वाले ग्रहों की पहचान योग्य ज्योतिषी से करवाने के बाद उत्तरदायी ग्रहों की शान्ति करवाएँ।
* पति की अवहेलना तथा तिरस्कार से पीडि़त कन्याएँ अधोलिखित मन्त्र का 108 बार जप नित्य करें। आश्चर्यजनक फल शीघ्र ही प्राप्त होंगे-
‘‘अभित्वा मनुजातेन दधामि मम वासना।
यशसो मम केवलो नान्यसा कीर्तयश्चन।।
यथा नकुलो विच्छिद्य संदधात्यहिं पुनः।
एवं कामस्य विच्छिन्नं से धेहि वो यादितिः।।
ऊँ क्लीं त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पतिवेदनम्।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् क्लीं ऊँ।।’'
संपूर्ण जप काल में घी का दीपक प्रज्जवलित रखें।
शीघ्र फलदायक शाबर मन्त्र
यदि किसी पराई स्त्री अथवा पर पुरूष के कारण वैवाहिक जीवन विषाक्त हो रहा हो तो यह प्रयोग करें-
‘‘ओम् सत्यनाम आदेश गुरू को, लौंग-लौग मेरा भाई, इन्हीं लौंग ने शक्ति चलाई पहली लौंग राती मती, दूजी लौंग जोबन मती, तीजी लौंग अंग मरोड़े, चौथी लाैंग दोऊ कर जोड़े, चारों लौंग जो मेरी खाय---------- के पास से --------------- के पास आ जाय, गुरू की शक्ति मेरी भक्ति, फुरोमन्त्र ईश्वरी वाचा।’’ चार साबुत लौंग लें। उपरोक्त मन्त्र को 108 बार पढ़कर इस लौंग को खिला दें। पहले खाली स्थान में परस्त्री या परपुरूष का नाम हो जबकि दूसरे खाली स्थान में उपासक अपना नाम रखें।
रत्नधारण व रूद्राक्ष
* वैवाहिक विलम्ब के सन्दर्भ में गणेश रूद्राक्ष धारण करना चमत्कारिक फल देता है।
* वैवाहिक सुख हेतु बृहस्पति तथा शुक्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जहाँ वैवाहिक जीवन के आरम्भ हेतु बृहस्पति उत्तरदायी हैं। वहीं शुक्र शय्या सुख व शारीरिक सुख प्रदान करते हैं। इनसे सम्बन्धित शान्ति उपाय सुखद वैवाहिक जीवन की कुञ्जी सिद्ध होती है।
* वैवाहिक विलम्ब व प्रतिबन्ध आदि परिस्थिति में पीला पुखराज (निर्दोष) साढ़े सात रत्ती का लें। स्वर्ण की मुद्रिका में बनवाकर गुरूवार के दिन तर्जनी अंगुली में धारण करें।
* शारीरिक अक्षमता आदि के कारण वैवाहिक जीवन नष्ट हो रहा हो तो हीरा (न्यूनतम एक कैरेट) धारण करेे।
* गौरी शंकर रूद्राक्ष विधि-पूर्वक धारण करने से वैवाहिक जीवन की विसंगतियों का नाश सहज ही हो जाता है।
* जन्माङ्ग में यदि वैधव्य या विधुर होने का योग हो तो एकमुखी रूद्राक्ष स्वर्ण में जड़वाकर धारण करें।
* जीवन संबंधी संकट हो तो महामृत्युञ्जय मंत्र का अनुष्ठान योग्य पुरोहित के निर्देश में करें।

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